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॥ श्री हनुमान जी की प्रार्थना ॥(७)

संकट मोचन बजरंग सुनो अब मेरी।

प्रभु कृपा दृष्टि कर देहु शरण मैं तेरी।

चहूँ और से दुष्टन गुष्ट कीन्ह लियो घेरी।

करते सब एक दम रार भजन की बेरी।

प्रभु पाहि पाहि निज हाथ शीश दो फेरी।५।

 

तब होवैंगे यह शान्त बजै मम भेरी।

मन संग में निर्भय भजन होय नहिं देरी।

हौ भक्तन के रखवार कहौं मैं टेरी।

यम काल मृत्यु औ माया उनकी चेरी।

जिन पर तुम दाया कीन्ह सकैं नहिं पेरी।१०।

 

धर लीन्ह खज़ाना तप धन का उन्ह गेरी।

अंधे कहैं तन तजि गये जहाँ सुख ढेरी।१२।