॥ श्री हनुमान जी की प्रार्थना ॥(८)
जय बजरंग गदा कर धारी।
राम सिया की सेवा करते भक्तन की रखवारी।
सिया राम भीतर औ बाहर शब्द सुनत रंकारी।
कथा कीर्तन प्रेम से जहँ हो वह पहुँचत दै तारी।
सब सुर मुनि हैं आपको मानत ऐसे भक्त हो भारी।
अंधे कहैं तरैं सो प्राणी जाको देहु निहारी।६।