॥ श्री शंकर जी की प्रार्थना ॥(४)
हर अब बोलो बोलो बोलो।
भैरव बीर भद्र गहि बाँधे इऩ चोरन को छोलो।
तब सब अंग भंग ह्वै जावें नैन श्रवण मम खोलो।
षट झाँकी हर दम हम ताकैं नाम कि तान अमोलो।
भक्त के रक्षक शिक्षक आपै फोरत भरम फफोलो।
अन्धा आपै का है सेवक खुब कसि कै फिर तौलो।६।