॥ श्री राम जी की प्रार्थना ॥
जै श्री राम धनुष शर धारी।१।
बाम भाग में राज रही हैं सिंहासन पर जनक दुलारी।२।
को वरनै झाँकी की शोभा शारद शेष गये जब हारी।३।
अंधे कहैं लखै जियति में ताकी दोनों दिशि बलिहारी।४।
जै श्री राम धनुष शर धारी।१।
बाम भाग में राज रही हैं सिंहासन पर जनक दुलारी।२।
को वरनै झाँकी की शोभा शारद शेष गये जब हारी।३।
अंधे कहैं लखै जियति में ताकी दोनों दिशि बलिहारी।४।