१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(२४)
पद:-
तन मन जब एक में गलत नहीं, तब तक कोइ कारज फलत नहीं।
जब तक हरि नाम पै कलक नहीं, अन्धे कहैं सतगुरु मिलत नहीं॥
पद:-
तन मन जब एक में गलत नहीं, तब तक कोइ कारज फलत नहीं।
जब तक हरि नाम पै कलक नहीं, अन्धे कहैं सतगुरु मिलत नहीं॥