साईट में खोजें

१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(३५)


पद:-

मौज उड़ाते हैं क्या राम आप से नेह लगाने वाले।

सतगुरु करि तन सोधन कीन्हा चोर भगाने वाले।

नागिनि जगी चक्र सब घूमैं कमल खिलाने वाले।

सुर मुनि मिलैं सुनै घट अनहद अमृत पाने वाले।४।

धुनि परकाश दसा लै करतल कर्म मिटाने वाले।

षट झाँकी हर दम रहै सन्मुख नैन भिड़ाने वाले।

साँति दीनता प्रेम में बूड़े हँसि मुसक्याने वाले।

अंधे कहैं अन्त निजपुर ले गर्भ न आने वाले।८।