साईट में खोजें

१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(५६)


पद:-

बिना मन को मारे भजन सुख कहाँ है।

कहैं अंधे निज कुल क धरना नहाँ है।

तजैं तन चलैं नर्क में दुख महाँ है।

यही बात श्रुति शास्त्र सुर मुनि कहा है।४।