१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१०४)
दोहा:-
ऐकै अजपा के गहै खुलते चारिउ द्वार।
अन्धे कह सुर मुनि कह्यो सो हम कहा पुकार॥
सतगुरु बिन नहि मिल सकै राम धाम का पंथ।
अन्धे कह पढ़ि सुनि लिखौ भक्तौं कोटिन ग्रंथ।२।
दोहा:-
ऐकै अजपा के गहै खुलते चारिउ द्वार।
अन्धे कह सुर मुनि कह्यो सो हम कहा पुकार॥
सतगुरु बिन नहि मिल सकै राम धाम का पंथ।
अन्धे कह पढ़ि सुनि लिखौ भक्तौं कोटिन ग्रंथ।२।