साईट में खोजें

१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१०५)


पद:-

नाम पै मन को लगावो बिना माला को लिये।

चोर सब तन से भगावो बिना माला को लिये।

रोग रोगिन क वतावो बिना आला को लिये।

अन्धे कहेते वतन जावो संग बाला को लिये।४।