१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१०६)
पद:-
कोइ मान बड़ाई आय करै तब फूले नहीं समाते हो।
जब निन्दा कोई लगै करन तब काहे को गुस्साते हो।
यह बंधन भक्तौं बड़ा कठिन अपनै को आप बंधाते हो।
अन्धे कहैं झूठा ज्ञान मानि क्यों कुल में दाग लगाते हो।४।
पद:-
कोइ मान बड़ाई आय करै तब फूले नहीं समाते हो।
जब निन्दा कोई लगै करन तब काहे को गुस्साते हो।
यह बंधन भक्तौं बड़ा कठिन अपनै को आप बंधाते हो।
अन्धे कहैं झूठा ज्ञान मानि क्यों कुल में दाग लगाते हो।४।