१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१२२)
ठुमरी तीन ताल:-
बसुदेव सुवन देवकी लाल संग राधे प्यारी डोलैं।
सब सखा सखी करते किलोल, कुँजन में रहि रहि मधुर बोल,
फूलन की कलियन खोलैं, संग राधे प्यारी डोलैं।
अन्धे कहैं धन्य धन उनकी भागि, जो हर दम निरखैं मन को तागि,
करि जियति सुफल लियो चोलैं, संग राधे प्यारी डोलैं।
सतगुरु करि जानो नाम रंग, सुर मुनि सब हर दम रहैं संग,
रहि रहि सब जै जै बोलैं।४।