१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१३७)
पद:-
है मिला नाम क्या बिना दाम सतगुरु की बोलौ बलिहारी।
धुनि ध्यान प्रकाश समाधी हो सन्मुख में राधे गिरधारी।
शरनि तरनि औ मरनि जियति अन्धे कहैं छूटी भव पारी।
तन छोड़ि चलो निज धाम रहौ दोनो दिसि छाई जैकारी।४।
पद:-
है मिला नाम क्या बिना दाम सतगुरु की बोलौ बलिहारी।
धुनि ध्यान प्रकाश समाधी हो सन्मुख में राधे गिरधारी।
शरनि तरनि औ मरनि जियति अन्धे कहैं छूटी भव पारी।
तन छोड़ि चलो निज धाम रहौ दोनो दिसि छाई जैकारी।४।