१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१४८)
पद:-
जै रणधीर बीर हनुमान।
दासन में तव श्रेष्ट कहावत सुर मुनि कीन बखान।
बल अतौल है अंग बज्र का विद्या बुद्धि निधान।
गदा सदा दहिने कर सोहत सुनत नाम की तान।
राम सिया हर दम रहैं सन्मुख जो सब सुख की खान।
अन्धे दोउ कर जोरि के मांगै मुक्ति भक्ति का दान।६।