१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥ (१५६)
पद:-
जिसने भगवान के भजन में मन को जोड़ लिया।
उसने जियतै में गर्भ बास से मुख मोड़ लिया।
सर्व शक्तिमान जिन्हैं सुर मुनि वेद कहते हैं।
हर दम सन्मुख में लखैं सुख का मज़ा ओढ़ लिया।
निर्भय निर्बैर सदा भक्त वही रहते हैं।
अन्धे कहते हैं वही भर्म भाड़ा फोर लिया।