१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१९१)
पद:-
सुमिरन में जौन पगी न पगा। अन्धे कहैं अवध भगी न भगा॥
सतगुरु करि जानि सगी न सगा। सो गर्भ में फेरि टंगी न टंगा॥
पद:-
सुमिरन में जौन पगी न पगा। अन्धे कहैं अवध भगी न भगा॥
सतगुरु करि जानि सगी न सगा। सो गर्भ में फेरि टंगी न टंगा॥