१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(१९०)
पद:-
सुमिरन बिन कोई बचा न बची। अन्धे कहैं प्रभुहिं जंचा न जंची॥
सतगुरु करि जक्त पचा न पची। सो अजा के रंग टंचा न टंची॥
पद:-
सुमिरन बिन कोई बचा न बची। अन्धे कहैं प्रभुहिं जंचा न जंची॥
सतगुरु करि जक्त पचा न पची। सो अजा के रंग टंचा न टंची॥