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२४१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥ (२५०)


पद:-

मति सुनो कथा उस वक्ता की जिन सिया राम को नहि जाना।

उसमें तो खाली वाक्य ज्ञान वह सान मान में है साना।

मन अपना काबू किहे बिना कहीं खुलते हैं आँखी काना।

कहें अंध शाह तन छोड़ि चलै नाना बिधि दुख नहि कल्याना।४।