२४१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(२५९)
पद:-
राम नाम कागज़ पर लिखते। तिनको देखा प्रभु संग चसते।
गाली दिहे न कबहिं भखते। मारे ते हंसते नहिं कंखते।
हर दम अपने इष्ट को लखते। सतगुरु से सब भेद को सिखते।
द्वैत भाव उर में नहिं रखते। अंधे कहैं बैठि सुख तखते।८।
पद:-
राम नाम कागज़ पर लिखते। तिनको देखा प्रभु संग चसते।
गाली दिहे न कबहिं भखते। मारे ते हंसते नहिं कंखते।
हर दम अपने इष्ट को लखते। सतगुरु से सब भेद को सिखते।
द्वैत भाव उर में नहिं रखते। अंधे कहैं बैठि सुख तखते।८।