२४१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥ (२)
अर रर साधौ सिखौ कबीर।
सतगुरु से अजपा सिखौ गगन मगन ह्वै जाव।
अन्धे कह जियतै तरौ मिलै न ऐसा दाँव।
भला साका सब जुगन रहै जारी।४।
अर रर साधौ सिखौ कबीर।
सतगुरु से अजपा सिखौ गगन मगन ह्वै जाव।
अन्धे कह जियतै तरौ मिलै न ऐसा दाँव।
भला साका सब जुगन रहै जारी।४।