२७५ ॥ श्री ख़फ़ीफ़ शाह जी ॥
पद:-
तन मन मुरीद मुरशिद को देय, तब मलक से फ़लक पर हो रहेना।
जियते में गोश औ चश्म खुलें, तब साफ़ होय दिल का ऐना।
हर वक्त खुदा का ज़िकिर करो, यह सखुन सबौं से कह देना।
मेरी लाश ज़रा भी खराब न हो, कच्ची कबर में दफ़न करा देना।४।
पद:-
तन मन मुरीद मुरशिद को देय, तब मलक से फ़लक पर हो रहेना।
जियते में गोश औ चश्म खुलें, तब साफ़ होय दिल का ऐना।
हर वक्त खुदा का ज़िकिर करो, यह सखुन सबौं से कह देना।
मेरी लाश ज़रा भी खराब न हो, कच्ची कबर में दफ़न करा देना।४।