२१० ॥ श्री नानक राम जी ॥
(वैश्य मुकाम साहब गंज फ़ैज़ाबाद)
चौपाई:-
अन्त कि बेरिया मुरली धारी। सन्मुख लखा खड़े सुखकारी॥
तन को त्यागि बैठि सिंहासन। जाय लीन श्री हरि पुर आसन॥
गीता पाठ मन्त्र जप कीन्हा। पर स्वारथ भी कछु करि दीन्हा॥
श्री महाराज आप की दाया। सारे पापन धोय बहाया॥
चालीस लाख बर्ष रहि वहँ पर। फिर द्विज कुल में जन्मौं यहँ पर॥
नानक राम कहैं हरखाई। सत्य बचन हम दीन लिखाई।६।