३६० ॥ श्री हुशियार शाह जी ॥
(स्थान: मुर्शिदाबाद बंगाल)
पद:-
जियतै नर तन को लीजै सुधार गुनो सतगुरु ढिग चलो।१।
शेर:-
नाम जपने को बिधी तुमको बता देवैंगे।
पाप तन मन के सुनो सारे मिटा देवैंगे॥
होवै दोनों तरफ़ जयकार गुनो सतगुरु ढिग चलो।२।
शेऱ:-
ध्यान धुनि नूर समाधी में जहां पैठोगे।
देव मुनि रोज मिलैं बिहँसि संग बैठोगे॥
उठै अनहद कि क्या गुमकार गुनो सतगुरु ढिग चलो।३।
शेर:-
जगै कुण्डलिनी शक्ति चक्र छइउ घूमैंगे।
कमल सातौं भि खिलैं महक उड़ैं झूमैंगे॥
चखौ अमृत मगन निशि बार गुनो सतगुरु ढिग चलो।४।
शेर:-
श्याम श्यामा कि छटा सामने में छावै जी।
मस्त तन मन से बनौ बोलि नहीं आवै जी॥
हर दम करते रहौ दीदार गुनो सतगुरु ढिग चलो।५।
शेर:-
कदम इस मार्ग पर जिसने है धरा लूटा मज़ा।
काल कर जोरे खड़ा दण्डवत करती है कज़ा॥
अजा भागी सकै न निहार गुनो सतगुरु ढिग चलो।६।
शेर:-
त्यागि तन राम धाम चढ़ि बिमान जाना हो।
लौटि फिर गर्भ दु:ख काहे को उठाना हो॥
सर्व सुक्खों क है यह सार गुनो सतगुरु ढिग चलो।७।
शेर:-
चेतो नर नारि अपने कुल की कान छोड़ो मत।
बलि बलि मैं जाऊँ बचन मानि लेव मेरे सत॥
यही बिनती करैं हुशियार गुनो सतगुरु ढिग चलो।८।