३६१ ॥ श्री गावन शाह जी ॥
(मुकाम कुतुबनगर)
पद:-
लीजै जियतै में नर तन सुधार करो सतगुरु हो मगन।१।
शेर:-
ध्यान परकाश समाधी औ धुनी जारी हो।
देव मुनि रोज मिलैं बोलैं जै तुम्हारी हो॥
भगैं असुरन क दल चुप मार करो सतगुरु हो मगन।२।
शेर:-
घट में अनहद कि ताल मधुर सुनना हो।
अमृत नित पान करो झरत रहत झरना हो॥
रेख कर्मन कि पर मेख मार करो सतगुरु हो मगन।३।
शेर:-
शक्ति कुण्डलिनी जाग चक्र सब चला देवै।
कमल सब सीधे करिके एक दम खिला देवै॥
महक मिलती रहै निशिवार करो सतगुरु हो मगन।४।
शेर:-
बिष्णु कमला कि छटा हर समय सन्मुख देखो।
सारे संसार का हो हाथ तुम्हारे लेखो॥
होवै दोनों जहां में प्यार करो सतगुरु हो मगन।५।
शेर:-
जपा हरि नाम नहीं तन मन लगा जिसने भाई।
छूटैगि कैसे सुनो उसकि पुरानी काई॥
भई सारी उमर बेकार करो सतगुरु हो मगन।६।
शेर:-
कदम जिसने है धरा मार्ग पर सब करतल किया।
त्यागि तन जाय करके पास ही में बास लिया॥
कहैं गावन हुई बलिहार करो सतगुरु हो मगन।७।
कोटिन में कोई होगा इस मार्ग पर चलने वाला।८।
सारी सिद्धिन का है यह एक दम तलने वाला।९।