३७३ ॥ श्री बाबा उधो दास जी॥
(मुकाम धनुआ, तिलोई, रायबरेली)
पद:-
गोलोक वासी श्याम ही साकेत बासी राम हैं।
बैकुण्ठ बासी बिष्णु चारों अंश उनके आम हैं।
सतगुरु करै मारग मिलै तब सुफ़ नर का चाम है।
आतमा तन में अठारह बसत जो बसुयाम हैं।
नर नारि चेतो जानि लो लागत न नेको दाम हैं।
सुर मुनि मिलैं अनहद सुनो अमृत चखो आराम है।
धुनि ध्यान लय परकाश सन्मुख रूप सब गुण ग्राम है।
ऊधो कहैं तन त्यागि बैठो अचल पुर निज धाम है।