४१९ ॥ श्री तुकाराम जी ॥
(शिष्य श्री गौरांग जी)
पद:-
तुकाराम कहैं सतगुरु करि गहो मग धुनि
ध्यान परकाश लय तब पावोगे।
देव मुनि आय मिलैं अनहद बाजा सुनो
गगन ते अमी झरै पाय हर्षावोगे।
सीता राम राधे श्याम रमा विष्णु झांकी वांकी
हर दम सन्मुख तब निज छावोगे।
कीरतन सतसंग करौ संग संत जन लखौ
तब नाना रंग प्रेम उमड़ावोगे।
निर्भय निर्वैर रहो दुख सुख सम सहौ
सब धन पास लहौ खावो व खिलावोगे।५।
कबहूँ न टूटा पड़ै दिन दिन और बढ़ै
दीनता औ शान्ति चढ़ै मंगल मचावोगे।
सूरति को शब्द धरि सुखमन स्वांस करि
जियति में जावो तरिदास तब कहावोगे।
अंत तन त्यागि देव पास चलि वास लेव
छूटै जग लेव देव काहे आवो जावोगे।८।