२०५ ॥ श्री अजामिल जी ॥
दोहा:-
नाम नारायण पुत्र मम, अन्त समय हम लीन ।
दायानिधि दाया करी, वास पास में दीन ॥१॥
सोरठा:-
पाप जन्म भर कीन, अन्त समय मैं भव तर्यौं ।
को अस अधम मलीन, सांची तुम सन मैं कह्यौं ॥१॥
दोहा:-
नाम नारायण पुत्र मम, अन्त समय हम लीन ।
दायानिधि दाया करी, वास पास में दीन ॥१॥
सोरठा:-
पाप जन्म भर कीन, अन्त समय मैं भव तर्यौं ।
को अस अधम मलीन, सांची तुम सन मैं कह्यौं ॥१॥