२१२ ॥ श्री पारस मणि जी ॥
दोहा:-
राम नाम परताप ते, लोह सोन करि देउँ ।
या से जग में नाम मम, सत्य वचन कहि देउँ ॥१॥
संत तो पारस रूप हैं, सांचा पारस जौन ।
राम नाम को जानि कै, बैठै हरि के भौन ॥२॥
दोहा:-
राम नाम परताप ते, लोह सोन करि देउँ ।
या से जग में नाम मम, सत्य वचन कहि देउँ ॥१॥
संत तो पारस रूप हैं, सांचा पारस जौन ।
राम नाम को जानि कै, बैठै हरि के भौन ॥२॥