७० ॥ श्री गिरधारी दास जी ॥
चौपाई:-
दर्शन श्री सीतला माता। हर दम देत सुफल मम गाता।
खर के ऊपर है असवारी। श्वेत रंग को खर सुख कारी।
चारि भुजा माता के सुन्दर। भूषन बसन मनोहर अंग पर।
नाम राम को जपतीं माता। राम सिया सन्मुख हैं ताता।
नाम हमार अहै गिरधारी। सांची मानो बात हमारी।५।