२१५ ॥ श्री खर जी ॥
दोहा:-
हरि औ हरि के भक्त जेहि मारैं निज कर भाय।
सो तौ हरि के धाम को चढ़ि बिमान चलि जाय।१।
खर है नाम हमार हम पर हरि किरपा कियो।
सांची कहौं पुकार हरि पुर में बासा दियो।२।
दोहा:-
हरि औ हरि के भक्त जेहि मारैं निज कर भाय।
सो तौ हरि के धाम को चढ़ि बिमान चलि जाय।१।
खर है नाम हमार हम पर हरि किरपा कियो।
सांची कहौं पुकार हरि पुर में बासा दियो।२।