२१८ ॥ श्री सुलोचना जी ॥
दोहा:-
नाम हमार सुलोचना शेष कि कन्या जान।
जरत समय पति संग में कीन राम को ध्यान।१।
पर बैकुण्ठ को मैं गई चढ़ि विमान हर्षाय।
पती रहे बैकुण्ठ में जो सब से लघु आय।२।
दोहा:-
नाम हमार सुलोचना शेष कि कन्या जान।
जरत समय पति संग में कीन राम को ध्यान।१।
पर बैकुण्ठ को मैं गई चढ़ि विमान हर्षाय।
पती रहे बैकुण्ठ में जो सब से लघु आय।२।