२७४ ॥ श्री कमल दास जी ॥
पदः- राम सिया की झाँकी बाँकी कनक भवन में राजि रहे हैं।१।
निरखत बनै कहै छबि को कबि मनसिज रति बहु लाजि रहे हैं।२।
बाजत साज गान नित प्रति हो मुद मँगल तहँ छाजि रहे हैं।३।
कमल दास कहैं दरशन करिये सब में यही बिराज रहे हैं।४।
पदः- राम सिया की झाँकी बाँकी कनक भवन में राजि रहे हैं।१।
निरखत बनै कहै छबि को कबि मनसिज रति बहु लाजि रहे हैं।२।
बाजत साज गान नित प्रति हो मुद मँगल तहँ छाजि रहे हैं।३।
कमल दास कहैं दरशन करिये सब में यही बिराज रहे हैं।४।