२९९ ॥ श्री श्रुति निधान जी ॥
पद:-
ढाई घड़ी क घण्टा होवै चौबिस घण्टा राति औ दिन।
पन्द्रह दिवस रैनि जब बीतै पखवरा एक लीजै गिन।
तीस दिवस औ रात्री बीतैं मास एक सब मानत हैं।
बारह मास क एक बर्ष भा सात दिवस सब जानत हैं।
इन्द्रपुरी बैकुण्ठ नर्क कैलाश के दिन जो कहे गये।५।
वँह पर जीव जौन कोइ रहते उनके भोग के कहे गये।
सहस बार चारों युग बीतैं तब बिधि का हो एक दिवस।
चौदह इन्द्र राज्य करि बदलैं करिकै भोग बिलास हवस।
ब्रह्मा जी के एक दिवस में बिष्णु कि एकै घड़ी भई।
बिष्णु कि एक घड़ी जब बीतै शिव की आधी घड़ी भई।१०।
श्रुति निधान कहैं राम नाम जपि पार होहु सुख पावो।
जा के अन्तरगत सब कछु है ता में चित्त लगावो।१२।