३०४ ॥ श्री नीलम परी जी ॥
पद:-
खोजत घूमौं मैं तो प्रीतम रसिया।१।
सुर नर मुनि जिनको नित ध्यावैं जो सब के उर बसिया।२।
ऐसा समय आइहै कबधौं जब मम सन्मुख हँसिया।३।
नीलम परी कहैं बनवारी तुम बिन धिक यह संसिया।४।
पद:-
खोजत घूमौं मैं तो प्रीतम रसिया।१।
सुर नर मुनि जिनको नित ध्यावैं जो सब के उर बसिया।२।
ऐसा समय आइहै कबधौं जब मम सन्मुख हँसिया।३।
नीलम परी कहैं बनवारी तुम बिन धिक यह संसिया।४।