३०७ ॥ श्री नोखे दास जी ॥
पद:-
करो गफ़लत करो गफ़लत करो गफ़लत बहुत भारी।
सुनो चित दे सुनो चित दे सुनो चित दे सब नर नारी।
भजन करिये भजन करिये भजन करिये तन मन वारी।
खुलैं पट तब खुलैं पट तब खुलैं पट तब हो उजियारी।
धुनी सुनिये धुनी सुनिये धुनी सुनिये हो एक तारी।५।
लखौ मोहन लखौ मोहन लखौ मोहन प्रिया प्यारी।
बिना सतगुरु बिना सतगुरु बिना सतगुरु के अँधियारी।
सत्य मानो सत्य मानो सत्य मानो शिरोधारी।
उठो चेतो उठो चेतो उठो चेतो बनै सारी।
चखौ अमृत चखौ अमृत चखौ अमृत तजौ खारी।१०।
कहाँ भूले कहाँ भूले कहाँ भूले हो घर वारी।
मिलै दोज़ख मिलै दोज़ख मिलै दोज़ख हो अति ख्वारी।
जिन्हैं ध्यावैं जिन्हैं ध्यावैं जिन्हैं ध्यावैं सुर मुनि झारी।
उन्हैं खोजौ उन्हैं खोजौ उन्हैं खोजौ कपट टारी।
बसे सब में बसे सब में बसे सब में वो हर बारी।१५।
अजब कौतुक अजब कौतुक अजब कौतुक किया जारी।
प्रेम कीजै प्रेम कीजै प्रेम कीजै लगै तारी।
दीन पाते दीन पाते दीन पाते तजि सुकुवारी।
मिलै पासै मिलै पासै मिलै पासै जगत धारी।
कहैं नोखे कहै नोखे कहैं नोखे तब बलिहारी।२०।
शेर:-
कीजै हरि नाम खेती, देगी सुधार नेती।१।
पावो जब नाम रेती, मिलि जाव रूप सेती।२।
नोखे कहैं सगेती, जे हरि के रंग रँगेती।३।