३२९ ॥ श्री रंगी राम जी ॥
पद:-
श्री हरि नाम सुमिरन बिन भला हरगिज नहीं होगा।
लाभ नर तन क लै लीजै बने बैठे हो क्यों चोगा।
आय यमदूत जब पिटिहैं तूरि सब देंय नस पोंगा।
सहायक कौन है तेरा जो फैलाये यहां ढोंगा।
करो सतगुरु नाम जानो रूप से होय सँयोगा।५।
जियत अभ्यास करि जानै मगन तन मन से सोइ लेगा।
कहैं रंगी राम तब प्यारे कटै आवागमन रोगा।७।