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३३१ ॥ श्री स्वामी शिवपुरी जी ॥


पद:-

चित चेतो करो मत अरचन कमर कस कर कस कर कस कर।

करो तन मन प्रेम से सुमिरन करो सदा डट कर डट कर डट कर।

कर सतगुरु बिधि जानो मिटै चक्कर चक्कर चक्कर।

फिर समय न ऐसा पैहौ करत मक्कर मक्कर।

सुनो नाम कि धुनि अति प्यारी सुरति धर कर धर कर धर क र। ५।

होंय सन्मुख अवध बिहारी सुफल तन कर तन कर तन कर।

मिलै ध्यान औ लय उजियारी कर्म हत कर हत कर हत कर।

सब सुर मुनि दर्शन देवैं प्रेम भर कर भर कर भर कर।

जिन नाम को सुमिरन कीन्हयों प्रभुहिं बश कर बश कर बश कर।

दीनता शान्ति करि धारण रहौ बच कर बच कर बच कर।१०।

तब असुर फेरि नहिं करिहैं कभी टक्कर टक्कर टक्कर।

शिव पुरी कहैं तन छूटै चलौ हँस कर हँस कर हँस कर।१२।