३४० ॥ श्री बब्बन पति जी ॥
(अवध वासी)
चौपाई:-
हरि सुमिरन सरयू अस्नाना। कीन जहां तक तन मन माना।१।
कछु गौवन के प्राण बचायन। या से हरि पुर बासा पायन।२।
दोहा:-
बब्बन पति कहैं जगत में रहै जब तलक जौन।
तब तक शुभ कारज करै, अन्त जाय हरि भौन॥
(अवध वासी)
चौपाई:-
हरि सुमिरन सरयू अस्नाना। कीन जहां तक तन मन माना।१।
कछु गौवन के प्राण बचायन। या से हरि पुर बासा पायन।२।
दोहा:-
बब्बन पति कहैं जगत में रहै जब तलक जौन।
तब तक शुभ कारज करै, अन्त जाय हरि भौन॥