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३४२ ॥ श्री राम फल दास जी ॥

(अवध वासी)
 

चौपाई:-

सदा दीनता तन में धारा। ठाकुर सेवा तन मन वारा।१।

या से हरि पुर पहुँचेन जाई। श्री गुरु के ढिग बैठक पाई।२।

 

सोरठा:-

कहैं राम फल दास, हरि सेवा फल मिलि गयो।

तन मन सदा हुलास, हर दम मंगल तँह छयो।१।