३४४ ॥ श्री रघुनाथ दास जी ॥
(अवध वासी)
छन्द:-
संग्रह किया बिश्राम सागर नाम हरि सुमिरन किया।१।
हरि धाम में बैठक मिली नर तन क फल हरि मोहिं दिया।२।
रघुनाथ दास क बचन यह धरि लेंय जे अपने हिया।३।
हरि कथा सुमिरन में समय जे देंय ते हरि पुर लिया।४।
(अवध वासी)
छन्द:-
संग्रह किया बिश्राम सागर नाम हरि सुमिरन किया।१।
हरि धाम में बैठक मिली नर तन क फल हरि मोहिं दिया।२।
रघुनाथ दास क बचन यह धरि लेंय जे अपने हिया।३।
हरि कथा सुमिरन में समय जे देंय ते हरि पुर लिया।४।