३४६ ॥ श्री राम दास जी भंगेड़ी ॥
(अवध वासी)
दोहा:-
हरि सुमिरन जैसा चही वैसन ही हम कीन।
हरि पुर में बासा मिल्यौ सत्य बचन कहि दीन।१।
राम दास कहैं हरि भजन करै जो निशि औ बार।
सो साकेत में पग धरै होवै जग से न्यार।२।
(अवध वासी)
दोहा:-
हरि सुमिरन जैसा चही वैसन ही हम कीन।
हरि पुर में बासा मिल्यौ सत्य बचन कहि दीन।१।
राम दास कहैं हरि भजन करै जो निशि औ बार।
सो साकेत में पग धरै होवै जग से न्यार।२।