३४८ ॥ श्री राम सखे जी ॥
(अवध वासी)
दोहा:-
तन मन प्रेम से भाव मम, हरि हमरे हैं मीत।
एक दिवस हरि मिलि गये उर लगाय कह्यौ मीत।१।
अन्त समय हरि धाम को गयों हर्षि चढ़ि यान।
राम सखे कहैं बचन मम, सत्य लीजिये मान।२।
(अवध वासी)
दोहा:-
तन मन प्रेम से भाव मम, हरि हमरे हैं मीत।
एक दिवस हरि मिलि गये उर लगाय कह्यौ मीत।१।
अन्त समय हरि धाम को गयों हर्षि चढ़ि यान।
राम सखे कहैं बचन मम, सत्य लीजिये मान।२।