३६७ ॥ श्री मनोहर दास जी ॥
(अवध वासी)
चौपाई:-
उलटा झूलेन सुमिरेन नामा। अन्त समय पायन हरि धामा।१।
कहैं मनोहर दास सुनाई। सुमिरन कीजै झूलि के भाई।२।
(अवध वासी)
चौपाई:-
उलटा झूलेन सुमिरेन नामा। अन्त समय पायन हरि धामा।१।
कहैं मनोहर दास सुनाई। सुमिरन कीजै झूलि के भाई।२।