३७५ ॥ श्री हनुमान दास जी ॥
(अवध वासी)
चौपाई:-
साष्टांग दण्डवत करि, कीन्हेउं चारों धाम।
तन छूट्यो चढ़ि यान पर पहुँचि गयऊँ हरि धाम।१।
हनुमान दास कहैं करै जो तीरथ या बिधि जाय।
अन्त समय हरिपुर मिलै, दीन्हेंव सांच बताय।२।
(अवध वासी)
चौपाई:-
साष्टांग दण्डवत करि, कीन्हेउं चारों धाम।
तन छूट्यो चढ़ि यान पर पहुँचि गयऊँ हरि धाम।१।
हनुमान दास कहैं करै जो तीरथ या बिधि जाय।
अन्त समय हरिपुर मिलै, दीन्हेंव सांच बताय।२।