३७६ ॥ श्री लक्ष्मी दास जी ॥
(अवध वासी)
चौपाई:-
हरि चरित्र हम पढ़ेन हमेशा। अन्त में पहुँचि गयन हरि देशा।१।
लक्ष्मी दास कहैं समुझाई। नित हरि चरित पढ़ै सो जाई।२।
(अवध वासी)
चौपाई:-
हरि चरित्र हम पढ़ेन हमेशा। अन्त में पहुँचि गयन हरि देशा।१।
लक्ष्मी दास कहैं समुझाई। नित हरि चरित पढ़ै सो जाई।२।