४४२ ॥ श्री शिव दीन सिंह जी ॥
पद:-
दशरथ के लाला छैल छबीले सब से रंगीले तुम्हीं तो हो।
कृष्ण मुरारी बाँके बिहारी गिरिवर धारी तुम्हीं तो हो।
जन हितकारी मंगल कारी मुरली धारी तुम्हीं तो हो।
बृज के बिहारी रासबिहारी सर्वाधारी तुम्हीं तो हो।
सब सुःख कारी भव भय टारी हृदय बिहारी तुम्हीं तो हो।५।
धर्म प्रचारी दैत्य संहारी मुनि मन हारी तुम्हीं तो हो।
दैकर तारी जक्त पसारी लागी न बारी तुम्हीं तो हो।
शब्द उचारी धुनि रंकारी ध्यान खेलारी तुम्हीं तो हो।
शून्य मँझारी सुधि बुधि हारी फेरि उतारी तुम्हीं तो हो।
सुर मुनि झारी करत पुकारी छबि अति प्यारी तुम्हीं तो हो।१०।
चक्र के धारी संख के धारी गदा के धारी तुम्हीं तो हो।
पुष्प के धारी धरणि के धारी श्री धनुधारी तुम्हीं तो हो।
साकेत औ गोलोक बिहारी अवध बिहारी तुम्हीं तो हो।
सब में ब्यापक सब से न्यारे सब के प्यारे तुम्हीं तो हो।
सब गुण आगर रूप उजागर बल के सागर तुम्हीं तो हो।१५।
मुक्ति औ भक्ति युक्ति औ शक्ती पूरण तृप्ती तुम्हीं तो हो।
सत्य के सिन्धू दीनन बन्धू करुणा सिन्धू तुम्हीं तो हो।
राधे सीता परम पुनीता मन गो तीता तुम्हीं तो हो।
रूप न रेषं सर्गुण रूपं सब के भूपं तुम्हीं तो हो।
सब के पितु माता भागिनी भ्राता जक्त बिख्याता तुम्हीं तो हो।२०।
निशि परभाता सब के दाता मित्र औ नाता तुम्हीं तो हो।
पुरुष औ बनिता सुत औ दुहिता दुख सुख रहिता तुम्हीं तो हो।
बसुदेव के लालन नन्द के लालन जक्त के पालन तुम्हीं तो हो।
कौशिल्या दुलारे यशुदा के प्यारे देवकि वारे तुम्हीं तो हो।
पय सागर वासी लक्ष्मी बिलासी महा प्रकाशी तुम्हीं तो हो।२५।
बिधि सारद फणपति सरस्वति गण पति काग औ खग पति तुम्हीं तो हो।
शिव उमा के स्वामी अन्तरयामी रहत अकामी तुम्हीं तो हो।
रुक्मिणि सतिभामा उर बिश्रामा श्री घनश्यामा तुम्हीं तो हो।
उत्पति के कर्ता पालन कर्ता परलय कर्ता तुम्हीं तो हो।
धरणि अकाशा नीर बताशा पावक आशा तुम्हीं तो हो।३०।
तीनौ गुण स्वाँसा दिन तिथि मासा खेल तमासा तुम्हीं तो हो।
श्री दुर्गा काली वृक्ष औ माली फूल औ डाली तुम्हीं तो हो।
श्री भरथ शत्रुहन षट मुख लछिमन हनुमत भैरव तुम्हीं तो हो।
सुरपति औ धनपति रघुपति यदुपति सब की गति मति तुम्हीं तो हो।
शान्ति शील सन्तोष दीनता सरधा दाया तुम्हीं तो हो।३५।
छिमा सत्य विश्वास प्रेम सतगुरु औ चेला तुम्हीं तो हो।
ज्ञान बिराग योग जप तप मख कथा कीर्तन तुम्हीं तो हो।
दधि दूध लुटैया माखन के खवैया चीर हरैया तुम्हीं तो हो।
लाज रखैया चीर बढ़ैया गज उबरैया तुम्हीं तो हो।
बाराह औ दिग्गज मच्छ कमठ बलि पृथ्वी देवी तुम्हीं तो हो।४०।
श्री अछय बट श्री कल्प वृक्ष श्री कामधेनु भी तुम्हीं तो हो।
झरना गिरि सागर सरिता पोषर कूप औ बापी तुम्हीं तो हो।
ताल तलैया भँवर औ नैया बाँस खेवैया तुम्हीं तो हो।
भरुही के अण्डा पर गज घंटा छोरि धरैया तुम्हीं तो हो।
पाँडवन उबारन कौरव मारन बैकुण्ठ बिठारन तुम्हीं तो हो।४५।
श्री ध्रुव प्रह्लादा हरयो विषादा पीपा भुज छाया तुम्हीं तो हो।
जारी........