४६५ ॥ श्री सुन्दरी जी ॥
दोहा:-
बिष्णु कि माया से बिलग, ताहि बैष्णव नाम।
तन मन प्रेम लगाइ कै हरि सुमिरै बसु याम।१।
नाम कि धुनि औ ध्यान लय पाय जियत में जाय।
कहैं सुन्दरी सुत सुनो हरि सन्मुख ह्वै जाँय।२।
दोहा:-
बिष्णु कि माया से बिलग, ताहि बैष्णव नाम।
तन मन प्रेम लगाइ कै हरि सुमिरै बसु याम।१।
नाम कि धुनि औ ध्यान लय पाय जियत में जाय।
कहैं सुन्दरी सुत सुनो हरि सन्मुख ह्वै जाँय।२।