७ ॥ श्री कमानी शाह जी ॥
दोहा :-
वेद शास्त्र गुरु बाक्य है, जो कोइ लेवै मानि।
ध्यान धुनी परकाश लै, रूप लेय पहिचानि।१।
चौरासी का दुख मिटै, जियति लेय सब जानि।
कहैं कमानी शिष्य सो, होय न कबहूँ हानि।२॥
दोहा :-
वेद शास्त्र गुरु बाक्य है, जो कोइ लेवै मानि।
ध्यान धुनी परकाश लै, रूप लेय पहिचानि।१।
चौरासी का दुख मिटै, जियति लेय सब जानि।
कहैं कमानी शिष्य सो, होय न कबहूँ हानि।२॥