३८ ॥ श्री सैय्याद जी ॥
पद:-
जन्मते मरते हुये कितने हि दिन नहि याद है।१।
सुमिरन बिना क्यों कर रहा निज जिन्दगी बरबाद है।२।
मुरशिद तलाशो कमर कसि जो नाम का उस्ताद है।३।
मानौ सखुन लूटौ मजा करता अरज सैय्याद है।४।
पद:-
जन्मते मरते हुये कितने हि दिन नहि याद है।१।
सुमिरन बिना क्यों कर रहा निज जिन्दगी बरबाद है।२।
मुरशिद तलाशो कमर कसि जो नाम का उस्ताद है।३।
मानौ सखुन लूटौ मजा करता अरज सैय्याद है।४।