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३९ ॥ श्री झूलन शाह जी ॥


पद:-

हरि पुर अचल आबाद जानो जो तुम्हारा धाम है।

सतगुरु करो पावो पता नर तन मिला जेहि काम है।

सूरति शबद का रास्ता पकड़ो बड़ा आराम है।

ध्यान सतगुरु का करो जो बज्र के सम थाम है।

मेहनत करो जियतै लखौ जहं पर नहीं वसु जाम है।५।

सूर्य्य अगणित के बरावर एक रस जहँ घाम है।

गाहक बनो सौदा लहौ जो मिल रहा बेदाम है।

कहते हैं झूलन शाह सुमिरन बिन वृथा नर चाम है।८।