४० ॥ श्री पंगुल शाह जी ॥
पद:-
गर गर्ज हो अर्जी को दो मर्जी में देरी है नहीं।१।
किस भूल में सोते यहाँ दुनियाँ यह तेरी है नहीं।२।
मुरशिद करो हरि नाम लो पार फेरी है नहीं।३।
पंगुल कहैं पगि जाव जी अब हीं अबेरी है नहीं।४।
शेर:-
प्रेम में तन मन को सानो हर समै आनन्द लो।५।
कहते हैं पंगुल शाह आंखै खोल के चहै बन्द लो।६।